गुरुवार, 29 दिसंबर 2016

माना कि मंजिल दूर है....




माना कि मंजिल दूर है,
पर ये भी तो मशहूर है.....

मजबूत इरादे हो अगर,
पाषाण भी पिघला करते है।
दृढ निश्चय कर ले इंसाँ तो,
तूफ़ान भी संभला करते हैं।

हौसले बुलंदी छुएं तो ,
नभ का मस्तक झुक जाता है।
जब साहस अपने चरम पे हो ,
तो सागर भी शरमाता है।

मुश्किलें बहुत सी आयेंगी,
तुझे राहों से भटकायेंगी।
मंजिल पाना आसान नही,
ये कमजोरों का काम नही।

बैरी षणयंत्र रचाएंगे,
शत्रु भी आँख दिखाएंगे।
भयभीत न हो, तू युद्ध  कर।

आलस आवाजें देगा तुझे,
मस्तिष्क तुझे भरमायेगा।
मुड़कर पीछे तू  देख मत,
बस निकल पड़।

रुक गया तो तू पछतायेगा,
तेरे हाथ न कुछ भी आएगा।
अनजान डगर ,अनजान सफ़र,
ले कस कमर और राह पड़।

'मांझी' की हिम्मत के आगे,
पर्वत ने घुटने टेके थे।
उस मांझी को तू याद कर ।
बस लक्ष्य साध और गति पकड़।

हर बाधा को पार कर, तू आगे बढ़।
बस आगे बढ़.....


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