मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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शनिवार, 13 मई 2017
माँ
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माँ माँ ऐसा कुछ नहीं, जो तेरी ममता के समतुल्य है! मुझपर तेरा प्रेम, तेरा कर्ज अतुल्य है! धूप में सदा तू छाँह की तरह रही , पापा की...
बुधवार, 10 मई 2017
'भावों की गरिमा '
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'भावों की गरिमा ' भावों की क्या बात करें भावों की अपनी हस्ती है भावो के रंग भी अगणित हैं इससे ही दुनिया सजती है मूल्य...
रविवार, 7 मई 2017
मुझे ऐसा हिंदुस्तान चाहिए!
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मुझे ऐसा हिंदुस्तान चाहिए! मुझे एक खुला और उन्मुक्त आसमान चाहिए! बिके जहाँ आशा का सूरज, ऐसी एक दुकान चाहिए! (1) संवेदनाए अभी बाकी ह...
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