मेरी जुबानी : मेरी आत्माभिव्यक्ति
मेरी कविताओं ,कहानियों और भावों का संसार.
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Pankhudiya
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मेरी प्रकाशित साझा पुस्तकें
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बुधवार, 3 मई 2017
आख़िरी लम्हा
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आख़िरी लम्हा और हाथ से रेत की तरह फिसल गया जो कुछ अपना सा लगता था! दोनों हाथों को मैं निहारता रहा बेबस, लाचार, निरीह - सा और सोचत...
रविवार, 23 अप्रैल 2017
अहसास
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इल्म है मुझे कि तुम मेरे दुख का सबब भी न पूछोगे, सोचके कि कही तुम्हें आँसू न पोछने पड़ जाएं शायद अनजान बने रहना ही तुम्हें वाजिब लगता है...
गुरुवार, 20 अप्रैल 2017
तसव्वुर उनका.
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देखा उन्हें ख्यालों में खोए हुए, न जाने किसका तसव्वुर है, जो उन्हें उनसे ही जुदा कर रहा है. सुधा सिंह
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