1:
पास होकर भी ,
तेरे पास होने का,
अहसास नही होता।
न् जाने ये कैसी दूरी है ,
हम दोनों के दरमियाँ।
2:
दिल तोड़ना और साथ छोड़ना
तो ज़माने का दस्तूर है ऐ दोस्त।
कायल तो हम तुम्हारे तब होंगे ,
जब् तुम् साथ देने की कला सीख लोगे ।
दिल तोड़ना और साथ छोड़ना
तो ज़माने का दस्तूर है ऐ दोस्त।
कायल तो हम तुम्हारे तब होंगे ,
जब् तुम् साथ देने की कला सीख लोगे ।
3:
अपनों को ठुकराना ,
गैरों को अपना बताना
और इस बात पर इतराना
कि जहाँ में चाहने वाले बहुत हैं तेरे।
ऐ दोस्त,
क्या तू इतना भी नही जानता
कि हाथी के दाँत खाने के और
दिखाने के और होते हैं।