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रविवार, 5 मई 2019

वाह रे चापलूसी........


वाह रे चापलूसी, तुझमें भी बात है।
तू जिसके पास होती,वह बन्दा बड़ा खास है।।

दुम हीनों को दुम दे, तू श्वान बनाती है।
जीभ लपलपाना , तू उसको सिखाती है।।

यस मैम, जी हुजूरी, तू जिससे कराती है।
कंगाल हो जो बंदा, मालामाल बनाती है।।

धर्म, कर्म, शर्म को, तू मुंह न लगाती है।
पास हो ये जिनके, उनसे दूर चली जाती है।।

रख राम राम मुँह में, यही बात सिखाती है
छुरी हो बगल में, यही सबक देकर जाती है

ईमानदारी और प्रतिभा से, तू बैर कराती है
निठल्लों, निकम्मों को, तू शेर बनाती है।।

कर बॉस की प्रशंसा, कुर्सी के पाँव चटाती है।
तू भूल गई मानवता, तुझे शर्म नहीं आती है।।

वाह रे चापलूसी........

गुरुवार, 21 सितंबर 2017

कहानी है मेरी पड़ोसन की


कहानी है मेरे पड़ोसन की - 
एक दिन वह मेरे पास आई 
उसकी आंखें थी डबडबाई 
उसे चिंतित देख जब रह न पाई 
मैंने उससे पूछ ही डाला - 
इस उदासी का क्या है कारण? 
आख़िर ऐसी क्या है बात ?
कहो तो कुछ उपाय सोचे
जल्द से जल्द करें  निवारण 
कुछ सकुचाते बामुश्किल से 
उसने आप बीती सुनाई - 

बहनजी, मेरा बेटा करता है 
हरदम अपनी ही मनमानी 
नहीं सुनेगा बात मेरी  
जैसे उसने मन मे ठानी 
नहीं समझ आता मुझे 
कहूँ कौन- कौनसी बात 
चिपका रहता फोन से सदा, 
दिन हो या रात


आज तो हद ही हो गई 
जब मैंने उसका फोन लिया छीन 
तो हो गया वह बहुत खिन्न 
कहने लगा मुझसे-
आप अपने काम से काम रखो 
आप जब घंटों लगी रहती हो फोन पे 
अपनी सखियों के संग 
तो क्या मैंने कभी डाला है 
आपके रंग में भंग 
आप कौनसा दादी की बात सुनती हो
जो मैं आपकी सुनू! 
आपका बेटा हूँ
आपके नक्शे कदम पर हूँ! 
आप उन्हें नहीं गिनती 
तो मैं आपको क्यों गिनू? 
अब भला आप ही बताइए- क्या मैं ऐसी हूँ!

सुनकर उसकी बातें मुझे हँसी आई 
मैं मुस्कराई 
वह थोड़ी चौंकी, थोड़ी सकपकाई 
मुझ पर प्रश्नभरी नजरे गड़ाई 
और दागा एक सवाल -
मेरे घर में मचा है बवाल 
यहाँ मेरी जान जाती है 
और आपको हँसी आती है 

मैंने उसे उस दिन का वाकया याद दिलाया - 
क्या वह दिन तुम्हें याद है 
जब मैं , तुम और तुम्हारी सास
 सिनेमाघर घर फ़िल्म देखने गए थे ¿
और हम तीनों एक साथ 
अगल - बगल की सीट पर बैठे थे
तभी तुम्हें वहाँ अपनी दो सखियाँ नजर आईं
खुशी के मारे चेहरे पर तुम्हारे मुस्कान छाई 

तुमने उन्हें अपने पास बुलाया 
और उनकी सीट पर हमें बिठाया 
इंटरवल में सखियों संग 
सेल्फी का मजा खूब उठाया 
कोक समोसा पॉपकॉर्न भी 
जमकर तुमने खाया 
भूल गई तब हम दोनों को
थे हम भी तो साथ तुम्हारे 
माँ जी बोल नही कुछ भी पाई 
बस मन मसोसकर रह गई 

 तब मैंने पढ़े थे उनके भाव
फ़िल्म देखी थी व्यंग्य भरे
पर अश्रु गिरे थे उसी ठाव 
तब तुमने नहीं,  
मैंने उन्हें संभाला था 
भर भर आँसू गिरते थे पर
मुँह पर उनके ताला था 
हाँ मैंने उन्हें संभाला था 

सुन बात भरी वह लज्जा से 
जमीन हिल गई पाँव तले  
दौड लगाई उल्टे पांव 
और मां जी के पैरों में पड़ी 

कर बद्ध क्षमा मांगी उसने 
वह  मंजर बड़ा सुहाया था
ममतामयी दया की मूरत 
माता ने गले लगाया था 

सुधा सिंह 🦋

  
चित्र :गूगल साभार 

शनिवार, 15 अगस्त 2015

हक़ीकत (व्यंग्य )

समाज की कड़वी हकीकत का एक पहलू जहाँ लड़कियों को कोख में ही मार दिया जाता है वहीँ कुछ घरो में बेटी को पालना मजबूरी बन जाती है। बेटे को घर का चिराग मानकर उसकी हर गलती और हर गुनाह को नादानी समझकर छोड़ दिया जाता है। उसे व्यंग्य रूप में यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है  -

एक दिन एक जवान बेटे ने अपने पिता से कहा, " पिताजी !मुझे मेरी बहन का कलेजा चाहिए।"

पिताजी ,"बेटा !कुछ  दिन रुक जा।  अभी उसे अपने ससुराल से आ जाने दे।"

बेटा,"ठीक है पिताजी! तो अपना कालेजा ही दे दो।

पिताजी,"मैं अपना कलेजा दे दूँ ।बेटा! ऐसा मजाक नहीं करते ।तू चिंता क्यों करता है? मेरे मरने के बाद सब कुछ तेरा ही तो है।

बेटा,"और अगर मेरी बहन ने कुछ माँगा तो। "

पिताजी," वो कैसे मांगेगी? मैं सबकुछ तुझे ही दूँगा। वो तो पराई थी ।अपने घर चली गई ।जान छूटी।"

बेटा," हा पिताजी! वो मुझे अच्छी  नहीं लगती।

पिताजी,"क्या करे । तू अगर पहले पैदा होता तो  तेरी बहन को  मैं संसार में आने ही नहीं देता।
मुझे उसकी शादी के लिए कितना दहेज़ देना पड़ा।अच्छा हुआ जल्दी से उसकी शादी
हो गई।"

बेटा," पर पिताजी आप जल्दी क्यों नही मरते मुझे आपकी तस्वीर पर हार चढ़ाना है।

पिताजी,"बेटा ऐसा नहीं कहते ।अभी तो तू बहुत छोटा है  ।थोडा बड़ा होगा तो समझने लगेगा।जा ,जाकर सो जा । कुछ दिनों में तेरी बहन आ जायेगी। तब देखेंगे क्या करना है।"

बेटा," नहीं पिताजी !अभी मुझे अपने दोस्तों से मिलने जाना है।

पिताजी," रोज की तरह रात के दो बजे  मत आना। मुझे तेरी फ़िक्र होती है ।इसलिए जल्दी  आ जाना वरना मुझे कल की तरह फिर नीन्द नहीं आएगी।"

बेटा," अरे! आप सो जाओ न।मैं आ जाऊँगा।"
और वह नशे की हालत में धुत होकर  घर लौटा लेकिन.... अगली सुबह।